आज की उम्र में महिलाओं की सुरक्षा प्रमुख मुद्दा है ।
घरेलू हिंसा , यौन उत्पीड़न और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि को देखते हुए
आत्म सुरक्षा जरूरी है ।
जिस से महिलाएं खुद को सुरक्षित कर सके और सुखी जीवन बिता सके।
सड़क पर बहुत सी ऐसी जगह है जहां महिलाओं लो बेआज की उम्र में महिलाओं की सुरक्षा प्रमुख मुद्दा है ।घरेलू हिंसा , यौन उत्पीड़न और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि को देखते हुए आत्म सुरक्षा जरूरी है ।जिस से महिलाएं खुद को सुरक्षित कर सके और सुखी जीवन बिता सके।सड़क पर बहुत सी ऐसी जगह है जहां महिलाओं लो बेहद असुरक्षित लगता है
रात में अकेला चलने और सफर करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।
ऐसी स्तिथि में घबराना नही चाहिए बल्कि आत्म विश्वास के साथ शक्तिशाली बने रहना चाहिए।
हर स्तिथि में खुद को मजबूती प्रदान करनी चाहिए
अपने आप को इतना मजबूत बना लो कि कोई भी आंख न उठा पाए ।खुद को सुरक्षा का ढाल बनाओ, हर मुसीबत को दूर भगाओ.
आत्म सुरक्षा यानी Self Defense
अगर कभी भी ऐसी स्तिथि में फस जाओ तो डरो मत उसका डटकर और हिम्मत के साथ सामना करो।
बहुत सी ऐसी तकनीक है जिस से खुद को बचाया जा सकता है ।
1. कोहनी घुटने (Elbow Knead)
इस विशेष तकनीक का परीक्षण और परिणाम हमेशा प्रभावशाली रहा है।
अगर आपको कभी लग रहा है कि कोई आपका पीछा कर रहा है या आपको पीछे से पकड़ने की कोशिश कर रहा है तो घुसपैठिया के पेट में बुरी तरह से अपनी कोहनी से मार दे।
इस से उसको भरपूर दर्द होगा और आपको अगली करवाई करने का भी समय मिल जाएगा।
2.हेडबट (Headbutt) मानव खोपड़ी बहुत ठोस और मजबूत होती है ।
आप इसे आत्मरक्षा के हतियार के रूप में उपयोग कर सकते है ।
अगर कभी ऐसी स्तिथि आये तो आप सर को हमलावर कर चेहरे पर जोर से मार दें फिर देखे उसको कितना दर्द होता हैं।
3. पेल्विक किक (Pelvic kick) एक पेल्विक किक प्रभावशाली तकनीक है ।
जिस से आप किसी को भी दर्द देकर वहाँ से भाग सकते है
अगर आप हमलावर की जकड़ से खुद को छुड़ा नही पा रहे है तो यह वॉर कीजिये ।
और वो उस दर्द से भाग जाएगा और आप सुरक्षित हो जाएंगे।
सीमा स्वस्ति
मेरी आत्म रक्षा…???
बनूं कल्प वृक्ष.. रहूं बिस्मिल..
बन विराट, रचुं क्रांति..
श्रृंखला वीरांगनाओं की हो..
प्रवृती क्षत्राणी की हो..
हिला ना सके,डिगा ना सके
छू ना सके,नजर भर देख ना सके..
ओज से भरी रहूं..दिव्यता से लिपटी रहूं..
रीढ़ मेरी भगत सिंह हो..
चंद्रशेखर ही मस्तक मेरा..
तिलक मेरा झांसी की रानी..
राजगुरु,सुखदेव मांग में भरे हो..
जिस दिन ऐसी बन जाऊ..
उस दिन सीमा नहीं..
असीमित कहलाऊं.।
हर बाला में दुर्गा हो..
दुर्गा संग भवानी हो..
किसकी बाजू में इतनी ताकत है
जो दुर्गा ,भवानी की रक्षा के सके..??
कुटिल..जटिल और कड़वा प्रश्न है
पुरुष की दंभता पे एक ओर चिन्ह है..
करती रहूंगी युगों युगों तक पुकार..
नहीं सुनेगा कोई माई का लाल..
चंडी बन कर निकालना होगा..
पुण्य वेदी पर फिर चढ़ना होगा..
चिंगारी बन फिर दहकना होगा..
गुलशन में गुल बन कर नहीं..
एक सैनिक बन कर चलना होगा
हाथ में कलम, नज़रों से
तीर..ए..क़फ़न चलाना होगा
सीमा बन कर नहीं होगा तेरा गुज़ारा…
असीमित हो कर ही क़दम बढ़ाना होगा..।
मेरी आत्म रक्षा कौन करेगा?
है कदम पे ज़िद्दी लहर मिली..
अगली लहर ,पिछली लहर से बड़ी थी..
हर लहर मेरे सामने थी,
वो ही मेरे खिलाफ थी..
मुझे तो उस पार जाना था..
उसका काम मेरा रास्ता रोकना था,
कुछ क्षण रुक कर,इधर उधर देख कर..
कुछ भूखी नज़रे, कुछ अजीब से इशारे,
आत्म रक्षा करूं या आगे बढूं..
कदम बढ़ाने से पहले मन के चक्षु जागे..
बीच का रास्ता अपनाया और
अपना आत्म विश्वास जगाया,
फिर ना मिली भूखी नज़रें..
ना किसी इशारे से जी घबराया,
आत्मा रक्षा तभी होगी,जब मन में आत्म विश्वास की ज्वाला जगी होगी।
महिमा कोठारी
आत्मरक्षा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक वस्तु है। एक महिला को किसी भी अन्य व्यक्ति पर आने और उसे बचाने के लिए निर्भर नहीं होना चाहिए।
वास्तव में अगर वह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से खुद को बचाने के लिए कुछ तकनीकों को सीखती है तो उसके लिए किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थि में सुरक्षित होने के लिए सहायक होगा। सभी लड़कियों को इतना मजबूत बन जाना चाहिए कि कोई भी उनको हानि न पहुंचा पाए।
एकता में बल है ।
अकांक्षा शर्मा
हमारे जीवन में सुरक्षा (Security) का होना बहुत जरुरी है. अगर आप सुरक्षित रहोगे तभी आप अपने जीवन को खुलकर जी सकते हो, अपनी जिंदगी को खुलकर जीने के लिए जरुरी है की आप खुद की हर समय सुरक्षा करे. आज लगभग हर इंसान किसी न किसी रूप में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
इसलिए खुद को इतना मजबूत और योग्य बनाओ लो की आप हमेशा खुद को सुरक्षित महसूस करे. जब आप मजबूत रहोगे तभी आप दूसरो की सुरक्षा कर पाओगे.
मिटा दो मन के हर डर को
मिटा दो मन के डर को, हासिल करो आत्म विश्वास को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को।
मुश्किल हो या नामुमकिन हो, ऐसी कोई बात नहीं,
मुश्किल हो या नामुमकिन हो, ऐसी कोई बात नहीं,
तुम्हारा सामना कर सकें किसी में औकात नहीं,
तुम्हारा सामना कर सकें किसी में औकात नहीं।
मिटा दो मन के डर को, हासिल करो आत्म विश्वास को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को।
दंगल हो या मंगल हो, अपने झंडे गाड़ दो,
दंगल हो या मंगल हो, अपने झंडे गाड़ दो,
नदियों का रुख मोड़ दो, बौना कर दो पहाड़ को,
नदियों का रुख मोड़ दो, बौना कर दो पहाड़ को।
मिटा दो मन के डर को, हासिल करो आत्म विश्वास को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को।
समंदर हो तुम आसमां हो तुम, नए ज़माने के सिकंदर हो तुम,
समंदर हो तुम आसमां हो तुम, नए ज़माने के सिकंदर हो तुम,
चाँद पे जाने की शक्ति हो तुम, अब मंगल करने की ठान लो,
चाँद पे जाने की शक्ति हो तुम, अब मंगल करने की ठान लो।
मिटा दो मन के डर को, हासिल करो आत्म विश्वास को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को।
बवंडर से भी तेज हो तुम, तूफ़ान से तुम्हारा मुकाबला क्या?
बवंडर से भी तेज हो तुम, तूफ़ान से तुम्हारा मुकाबला क्या?
तुम्हारे क़दमों में आकाश है, ऊँची उड़ान से मुकाबला क्या?
तुम्हारे क़दमों में आकाश है, ऊँची उड़ान से मुकाबला क्या?
मिटा दो मन के डर को, हासिल करो आत्म विश्वास को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को।
वीर हो तुम शूरवीर हो तुम, अनंत में भी तुम्हारी हस्ती है,
वीर हो तुम शूरवीर हो तुम, अनंत में भी तुम्हारी हस्ती है,
दुनिया हंसती है तो हॅसने दो, ये पगली है जो हंसती है,
दुनिया हंसती है तो हॅसने दो, ये पगली है जो हंसती है।
मिटा दो मन के डर को, हासिल करो आत्म विश्वास को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को।
टिमटिमाते तारो को जगमगाते जुगनुओ को मात दे दो,
टिमटिमाते तारो को जगमगाते जुगनुओ को मात दे दो,
बढ़ो आगे और बढ़ते रहो,सबको तुम पीछे छोड़ दो,
बढ़ो आगे और बढ़ते रहो,सबको तुम पीछे छोड़ दो।
मिटा दो मन के डर को, हासिल करो आत्म विश्वास को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को,
जीत लो जमीं को, झुका दो आकाश को।
धन्यवाद
विशाल अहलावत
महिमा कोठारी
सीमा स्वस्ति
अकांक्षा शर्मा