भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति , अपने रीती रिवाजों के लिये जाना जाता है । यह वह देश है जहाँ देश को
” भारत माता ” कहा जाता है । यानि कि देश को अपनी माँ के समान समझा जाता है । आज हमारा देश हर क्षेत्र में
तरक्की कर रहा है | लेकिन महिलाओं को सम्मान देने के मामले में यह आज भी पीछे है । आज भी हमारे देश में
पुरुषो को हर क्षेत्र में महिलाओ से बेहतर समझा जाता है ।
हम यूँ तो न्यूज़ चैनल्स , अखबारों में बहुत बड़ी- बड़ी बाते करते हैं लेकिन हमारे समाज में औरतों का कितना
सम्मान किया जता है यह तो हम सभी जानते है । बहुत ही कम ” माँ – बाप ” ऐसे होते हैं जो की बेटी के जन्म पर
खुश होते है ।
बहुत से लोग तो पूजा – पाठ , व्रत इत्यादि भी इसीलिए करते है की उन्हें पुत्र की प्राप्ति हो । यहां तक की
लोग तो जन्म से पहले लिंग जांच करवाने से भी पीछे नहीं हटते ।
और समाज का असली क्रूर चेहरा तो तब सामने आता है जब उन्हें यह पता चलता है की उनके घर लड़का नहीं लड़की
पैदा होने वाली है । ऐसे वक्त में हमारे समाज के लोग अपनी ही सन्तान के हत्यारे बनने से भी पीछे नहीं हटते ।
अखबारों व् न्यूज़ चैनल्स में भ्रूण ह्त्या की खबरें तो आम है ।
सरकार द्वारा इसे रोकने के लिए कई कदम भी उठाए गये है , इनमें ” बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ ” अभियान
प्रमुख है । लेकिन जब तक लोग खुद जागरूक नहीं होंगे , वो खुद एक औरत या बेटी को महत्ता की नहीं समझेंगे ,
तब तक स्थिति में बदलाव असम्भव है ।
इसके लिए सबसे पहले खुद महिलाओ को जागरूक होना होगा । क्योंकि बहुत से मामलो में महिलाएं खुद चाहती है
की उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हो ।
वह यह भूल जाती हैं की आखिर वह खुद भी तो एक बेटी ही हैं ।
लोग कहते हैं की पुत्र होगा तो हमारा नाम रोशन करेगा , हमारा वंश चलाएगा । ऐसे लोगों को तो मैं सिर्फ इतना
ही कहना चाहूँगा की क्या कल्पना चावला , पी वी सिंधु , सायना नेहवाल यह सब बेटियां नहीं , क्या इन्होंने अपने
माँ बाप का नाम रोशन नहीं किया । लोग यह क्यों भूल जाते है की वंश चलाने के लिए भी स्त्री की ही आवश्यकता
होती है ।
क्या आप बिना महिलाओ के किसी समाज की कल्पना भी कर सकते है …????
नहीं ना। मैं भी नहीं कर सकता । असल मे बिना महिलाओं के हमारा कोई अस्तित्व है ही नहीं महिलाएं है बेटियां है
तभी तो हम हैं ।
हमारी संस्कृति में बेटी को लक्ष्मी का रूप कहा जाता है । स्त्री को शक्ति का प्रतीक समझा जाता है ।
एक औरत कितनी महान होती है यह शब्दों में बयां करना असम्भव है ।
एक औरत एक बेटी , एक पत्नी , एक दोस्त , माँ , बहन आदि के रूप में हमारा साथ देती है तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है की हम भी महिलाओं का सम्मान करें ।
बेटियों का जन्म होना तो ऐसे मान लिया जाता है जैसे कोई बहुत बड़ी विपदा आ पड़ी हो, लेकिन उन्हें क्या पता आप ने भी जब जन्म लिया होगा तो किसी की बेटी (Beti) की कोख से ही लिया होगा.Betiyan तो आने वाला सुनहरा कल होती है, उनकी हमेशा इज्जत करनी चाहिए और सम्मान देना चाहिए. आज पुरुष प्रधान समाज होने के बावजूद भी बेटियां पुरुषो के साथ हर छेत्र में कंधे से कंधा मिला कर चल रही है बल्कि उनसे कही ज्यादा अच्छा काम कर रही है
“बेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी”
बेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
तारा बनुगी मै सहारा बनुगीगगन पर चमके चंदा
मै धरती पर चमकुगीधरती पर चमकुगी
मै उजियारा करूंगीबेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
पढूंगी लिखूंगी मै मेहनत भी करूंगी
अपने पांव चलकर मै दुनिया को देखूंगीदुनिया को देखूंगी
मै दुनिया को समझूंगीबेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
फुल जैसे सुन्दर बागों में खेलूंगी
तितली बनुगी मै हवा को चुमुंगीहवा को चुमुंगी
मै नाचूंगी गाऊगीबेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
तारा बनुगी मै सहारा बनुगीबेटी ये कोख से बोल रही,
माँ करदे तू मुझपे उपकार.मत मार मुझे जीवन दे दे,
मुझको भी देखने दे संसार.बिना मेरे माँ तुम भैया को
राखी किससे बंधवाओंगी.मरती रही कोख की हर बेटी
तो बहु कहाँ से लाओगेबेटी ही बहन, बेटी ही दुल्हन
बेटी से ही होता परिवारमानेगे पापा भी अब माँ
तुम बात बता के देखो तोदादी नारी तुम भी नारी
सबको समझा के देखो तोबिन नारी प्रीत अधूरी है
नारी बिन सुना है घर-बारनही जानती मै इस दुनिया को
मैंने जाना माँ बस तुमकोमुझे पता तुझे है फ़िक्र मेरी
तू मार नही सकती मुझकोफिर क्यों इतनी मजबूर है तू
माँ क्यों है तू इतनी लाचारगर में ना हुई तो माँ फिर तू
किसे दिल की बात बताएगीमतलब की इस दुनिया में माँ
तू घुट घुट के रह जाएगीबेटी ही समझे माँ का दुःख
‘अंकुश’ करलो बेटी से प्यार
श्रिया झा जी के विचार बेटियों पर
श्रिया झा।
•महिला को परिभाषित करें
मेरा मानना यह है कि जो बहुत ही गहरे मनोभाव होते हैं जैसे – प्यार , इज़्ज़त , सम्मान ऐसे भावो को शब्दों में बयान नही किया जा सकता है।
इन भावों को दिल से महसूस किया जा सकता है।
इन भावों को शब्दों में नही बांध सकते।
उसी प्रकार नारी को भी शब्दो में बयां नही किया जा सकता ।
नारी शब्द खुद में ही इतना गहरा है कि इसको समझ पाना कठिन है।
नारी के बिना कोई समाज नही है।
औरत इस संसार का वो कीमती गहना है जो इस संसार को और भी खूबसूरत बना देता है।
•पुरुष और महिला के बीच समाज में भेदभाव पर आपके विचार क्या हैं
पुरूष और महिला के बीच भेदभाव होता था या होता आया है, यह बहुत गलत है।
इसकी शुरुआत कब कैसे और कहा हुई ये इतिहास ही पढ़कर पता चलता है।
बहुत सालो पहले महिलाओं को बराबर दर्जा मिलता था।
उस समय महिलाओ को आज़ादी थी।
लेकिन कुछ समय बाद उनकी आज़ादी काम हो गयी।
क्योंकि कही न कही पुरुषों को एक डर था कही महिलाएं उनसे ऊपर न उठ जाए।
तभी से महिलाओं को दबाना और शोषण करने शुरू कर दिया गया।
लेकिन आज के दौर में महिलाओं का नया रुप सामने आ रहा हैं।
अब लिंग भेद खत्म हो रहा है।
हमारा समाज महिलाओं को अवसर प्रदान कर रहा है ।
हमारा युथ इसके लिए आवाज़ उठा रहा है।
और ये भेदभाव खत्म होना चाहिए।
•आप शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए क्या सुझाव देंगे
शिक्षा की जहा तक बात की जाए तो ये एक महत्वपूर्ण कदम है समाज में बदलाव लाने के लिऐ।
शिक्षा एक संपूर्ण व्यक्तित्व का दर्पण है ।
शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नही होना चाहिए।
अच्छे संस्कार , अच्छा व्यवहार, अच्छे विचार और अच्छी सोच बहुत जरूरी है समाज में ।
इंसान अच्छा या बुरा सिर्फ अपनी सोच से बनता हैं।
अगर सभी अच्छी सोच रखे तो समाज में औरतों के खिलाफ कोई भी जुर्म नही होगा।
लड़कियों को शिक्षा लिये लड़कों की तरह ही समान अवसर दिये जाने चाहिए और उन्हें किसी भी विकास के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। देश भर में महिलाये, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के स्तर के महत्व और प्रगति के लिए उचित जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक है। एक जानकार लड़की अपनी शिक्षा से पूरे परिवार और पूरे देश को शिक्षित कर सकती है।
लड़कियों की शिक्षा से हमारे देश को कई फायदे हो सकते हैं : एक शिक्षित और समझदार लड़कीदेश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़कीविभिन्न क्षेत्रों में लड़कों के काम और बोझ को हल्का कर सकती है। यदि एक शिक्षित लड़कीकी उम्र कम नहीं है, तो वह हमारे देश की लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में सेवा दे सकती है। इसके अलावा, वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
लड़कियों के बिना हम समाज की कल्पना तक नहीं कर सकते क्योंकि वे आने वाली पीढ़ी की जन्मदाता है। अगर विश्व की महिलायें अच्छी तरह से शिक्षित होंगी तो ही वे नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा दे पाएंगी जिससे हमारा समाज और देश प्रगति की ओर अग्रसर हो पाएगा।
•समाज में बदलाव लाने के लिए क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है
समाज में बदलाव लाने के लिए सबसे जरूरी और अहम कदम है सोच बदलने का।
लड़कियों के लिए अपना नजरिया बदलने का।
अगर महिलाओं पर अत्याचार ख़त्म करने है तो उनको इज़्ज़त , सम्मान और अच्छे कानून के साथ अच्छी सोच विकसित करनी होगी।में कहना चाहूंगी कि समाज में लड़की की इज़्ज़त होनी चाहिए और जैसे अपने घर में माँ, बहन बेटियों की इज़्ज़त करते है उसी प्रकार हमें हर लड़की की इज़्ज़त करनी चाहिये।
अच्छी सोच और अच्छे नजरिए से जिये और हर लड़की की इज़्ज़त करे तभी समाज में बदलाव आ सकता है ।लड़कियों को शिक्षा के लिये लड़कों की तरह ही समान अवसर दिये जाने चाहिए और उन्हें किसी भी विकास के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। देश भर में महिलाये, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के स्तर के महत्व और प्रगति के लिए उचित जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक है। एक जानकार लड़की अपनी शिक्षा से पूरे परिवार और पूरे देश को शिक्षित कर सकती है।
• एक बेटी होकर आप कैसे महसूस करती है ।
एक बेटी होकर में बहुत गर्व महसूस करती हूं।
में जब बहुत छोटी थी अपने पापा को खो दिया था ।
में अपनी माँ के साथ रहती हूं।
में आज जो भी हुन अपनी माँ की वजह से हूँ।
में हमेशा उनके जैसा बन ना चाहती हूं।
एक लड़की की जिंदगी में बहुत उतार चढ़ाव आते है ।
एक औरत का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है लेकिन फिर भी एक औरत सब तकलीफो को पर करके अपना जीवन व्यतीत करती है ।
बेटी बनकर आई हूँ, माँ बाप के जीवन में,
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आंगन में…
क्यों ये रीत, रब ने बनाई होगी,
कहते हैं.आज नहीं तो कल तू पराई होगी..!!
देकर जनम पाल पोस कर.जिसने हमें बड़ा किया,
और वक्त आया.तो उन्हीं हाथों ने हमें विदा किया..
टूट कर बिखर जाती है, हमारी जिंदगी वहीं,
पर फिर भी उस बंधन में..प्यार मिले जरूरी तो नहीं..
क्यों रिश्ता हमारा.इतना अजीब होता है,
क्या बस यही, बेटियों का नसीब होता है
हमे समझना होगा की
बेटी अभिशाप नहीं वरदान है
•आप समाज को क्या कहना चाहती हैं
कन्या भ्रूण हत्या एक ऐसी गंभीर सामाजिक समस्या है जो हमारे समाज के तथाकथित “पारंपरिक विचारों” से उत्पन्न होती है। कन्या भ्रूण का अवैध गर्भपात ससुराल, पति या स्त्री के माता-पिता या परिवार के लोगों के दबाव की वजह से किया जाता है और जिसका मुख्य कारण बेटों की प्राथमिकता होती है। लड़कियों को बोझ, गरीबी, निरक्षरता और महिलाओं के खिलाफ सामाजिक भेदभाव का कारण माना जाता है।
विडंबना यह है कि एक ऐसे देशो में कन्या भ्रूण हत्या अधिक हो रही है जहाँ लोग देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं और जहाँ स्त्रियों को माँ लक्ष्मी के अवतार के रूप में माना जाता है एवं
जहाँ युवा लड़कियों की पूजा की जाती है, लोग आशीर्वाद लेने के लिए कन्याओं के पैरों पर अपना सिर झुकाते हैं। फिर भी, लड़कियों की जानबूझकर हत्या की जा रही है। हमारे समाज में कुछ इस तरह के दोहरे मानक हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के अधिकार हर भारतीय स्त्रियों के मौलिक अधिकार हैं। स्त्री भेदभाव का भयानक अवैध कारोबार को रोकने के लिए कड़े कानूनों और परिवर्तनों को बनाना होगा। बेहतर कल के लिए बेटियों को बचाओ!!!
अपनी सोच बदलो ।
बेटी अभिशाप नहीं वरदान है
#SAVE GIRL CHILD
#RESPECT WOMEN
धन्यवाद
विशाल अहलावत