आप सभी को मेरा नमस्कार ।
आजकल दुनिया में रिश्तो को संभालना बाद मुश्किल सा हो गया है ।
कोई भी रिश्तो की अहमियत को नही समझता है ।
रिश्ते तो एक पतंग की ड़ोर के समान है ।
सभी रिश्ते एक डोर से बंधे हुए है ।
चाहे वो माता पिता का भी बहन का या फिर दोस्तो का ।
सभी रिश्ते कांच की चीज़ों की तरह बहुत जलदी टूट जाते है ।
रिश्ते दोनो तरफ से निभाये जाते है ।
अगर एक तरफ से इस डोर को ढीला किया या अपनी तरफ खींच लिया तो ये डोर टूट जाएगी और रिश्ते भी टूट जाएंगे।
यही डोर समझ की डोर है , इस डोर को दोनों तरफ से बराबर पकड़ना होगा ।
यही सामंजस्य की डोर है जो रिश्तों को बंधे रखती है।
अगर ये डोर रिशतो में सुलझी रहे तो रिश्तों में सहजता बानी रहेगी ।
और अगर ये डोर उलझ जाए तो रिश्ते उतने ही कमजोर हो जाएंगे।
रिश्ते बनाने आसान होते हैं लेकिन उनको संभालना उस से कई ज्यादा मुश्किल होता हैं ।
आज अगर रिश्ते टूट रहे है तो उसकी एक ही वजह हैं आपसी तालमेल ओर समझ।
आजकल न तो कोई सहनशील हैं और न ही समझदार।
अगर रिश्तों को संभाले रखना हैं तो हम एक दूसरे की जरूरत और उनको समय दे।
इन प्यार और स्नेह की डोर को उलझने न दें।
हर इंसान की अपनी ज़िंदगी होती है ,
अपनी सोच , उसकी भी व्यक्तिगत ज़िन्दगी हैं।
कभी कभी हम अनजाने में दूसरे की जी ज़िन्दगी में बेवजह की दखल देकर उसको परेशान कर देते है उसी कारण रिश्ते बिखरने लगते हैं।
आपका जिस से भी रिश्ता है उसकी जरूरत समझे ।
उनकी ज़िन्दगी में क्या चल रहा हैं वो ठीक है या नही उसका पता करो और उसकी परेशानी को दूर करने की कोशिश करो ।
जैसे पतंग हवा के साथ अपनी दिशा बदल लेती है। उसी प्रकार आप भी सहज होकर जीने की सोचें।
बेवजह की तनातनी से रिश्ते की डोर को तोड़ देती है।
याद रखें कि आसमान में यू एक दूजे के इमोशनस की कद्र करते हुए खुलकर जीना परिस्थितियों को सुलझा देगा
यह सहजता रिश्तों की डोर को कभी कमजोर नही होने देगा ।
ऐसा देखा गया है कि हम जब किसी से जुड़ जाते है तो हर वक़्त उसके साथ बंधना चाहते हैं।
एक हक़ का भाव कही न कही उस रिश्ते से जुड़ ही जाता है।
जो कभी कभी बेड़ी बन जाता है , लेकिन यह समझना जरूरी है कि हर एक हक़ जिम्मेदारी से भी जुड़ा होता है ।
एक आधिकार हो जाता है की उसको खुश रखना है।
ऐसा भी न हो कि आपका प्यार और आपली केअर उनको बोझ न लगे ।
यू भी स्नेह से भरे बंधन किसी पर लाधे नही जा सकते हैं।
हर रिश्ते में थोड़ा स्पेस जरूरी है ।
संतुलित कम्युनिकेशन रखते हुए रिश्तो को ढील दी जानी चाहिए।
ठीक patang की डोर की तरह , ताकि वो भी आसमान में उड़ सकें , खुलकर जियें , पर आपसे बंधे भी स्नेह ।
स्नेह की डोर का बंधन जोर जबरदस्ती और हावी होने से नहीं टिक सकता ।
इन्हें प्यार और भरोसे से बांधें ।
रिश्तो को अगर टूटने से रोकना है तो ढील देनी होगी ।
समय रहते समझिये की रिश्ते पेंच लड़ाने के लिए नही हैं,
बल्कि साथ साथ उड़ान भरने और जिंदादिल से जीने के लिए हैं।
रिश्ते भी पतंग की डोर से होते है ,
पतंग भी डोर से जुड़ी होती है तभी जमीन से जुड़ी रहती है ।
ठीक उसी तरह रिश्ते में जुड़ाव बना रहता है ,तो एक ठहराव आता है ।
गहराई आती है , जिससे खुशियां ही नहीं , गम भी साझा करने का मन करने लगता है ।
रिश्ते अगर निभाने है तो एक दूसरे को समझना होगा और एक दूसरे का सपोर्ट सिस्टम बनना होगा ।
आज हमारे साथ हैं
गरिमा विक्रांत सिंह जी
गरिमा जी रिश्तों के मामले भी बहुत ईमानदार और जिम्मेदार है ।
इनको पता है हर रिश्ता कैसे निभाना चाहिए ।
गरिमा विक्रांत सिंह जी ने रिश्तों को संभाल कर रखा है ।
गरिमा जी के साथ बातचीत।
Q1. आपका सबसे प्यारा रिश्ता कोनसा है ,और आपको क्या लगता है कि आजतक वो क्यों कायम है ।
मेरा सबसे प्यारा रिश्ता मेरे पति योगेश विक्रांत से है। वो मेरे पति बाद में और दोस्त पहले हैं उन्होंने हमेशा मुझे ये सिखाया की हर रिश्ते में स्पेस बहुत ज़रूरी होता है।
जिसका हमेशा सम्मान करना चाहिए क्यूँकि किसी भी रिश्ते से पहले हम एक व्यक्तित्व भी हैं। यही वजह है कि हमरा रिश्ता जैसा पहले था आज भी बिलकुल वैसा ही है.
Q2. कोई रिश्ता आप नही चाहती थी फिर भी आपसे दूर चला गया , उसको लेकर क्या पछतावा है ।
नहीं ऐसा कोई रिश्ता नहीं जिससे मई चाहती थी और वो दूर चला गया हो ऐसा तो कोई भी नहीं।
Q3. आपके हिसाब से किसी रिश्ते को निभाने के लिए उसको बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए।
रिश्ते को निभाने का बहुत ही सरल तरीक़ा ये है कि एक दूसरे का सम्मान करें और स्पेस दें उसे चाहे वो कोई भी रिश्ता हो। रिश्ते तानाशाही से नहीं सहयोग और प्यार से चलते हैं।
Q4. समाज में कैसे रहना चाहिए और कैसे रिश्ते की अहमियत को समझना चाहिय
समाज में वैसे ही रहें जैसे आप अपने घर में रहते हैं क्यूँकि हम से ही समाज बनता है। जैसा आप करेंगे, जैसा आप सोचेंगे उससे ही आपका समाज भी बनेगा।
उदार बनिए , दूसरों की मदद करिए, और इंसानियत को मरने मत दीजिए अपने अंदर से।
व्यक्तिवादी बनने से बचिए तभी रिश्ते भी बचे रहेंगे। हर रिश्ते की अपनी गरिमा होती है उसका ख़याल रखना चाहिए।
हमारी आप सभी से यही गुजारिश है कि हर रिश्ते को वक़्त दीजिये और कभी रिश्तो को टूटने न दे ।
रिश्तो को प्यार के साथ और एक जिम्मेदारी से निभाएं।
धन्यवाद।
विशाल अहलावत
अकांक्षा शर्मा
4 replies on “पतंग एक डोर सा रिश्ता”
WOw it’s awesome
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Thanks a lot 😙
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Nicely quoted!
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Thank you for liking:)
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